प्रत्येक देश में नागरिकता प्राप्त करने के कुछ नियम होते हैं और प्रत्येक देश वर्तमान परिस्थितियों के अनुसार इन नियमों में बदलाव कर सकता है और ये बदलाव करने के लिए जिस विधेयक को संसद में लाया जाता है उसे हिंदी में नागरिकता संशोधन विधेयक तथा अंग्रेजी में सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल कहा जाता है।
मौजूदा समय में यह शब्द चर्चा में है क्योंकि भारत सरकार ने 1955 में बनाए गए नागरिकता सबंधित नियमों में बड़े बदलाव किए हैं जिसके चलते नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 लाया गया है। इस विधेयक में सबसे बड़ा बदलाव यह किया गया है कि भारत के तीन पड़ोसी देश पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बांग्लादेश में रह रहे हिन्दू, सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध और पारसी धर्म के लोग (जो कि इन देशों में अल्पसंख्यक हैं) भारत में केवल 6 वर्ष निवास कर भारत की नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं इस संशोधन से पहले निवास समय की सीमा 11 वर्ष की थी।