"जिहाल-ए -मिस्कीन मकुन बरंजिश" पंक्ति हिंदी फिल्म गुलामी में गए गए गीत के चलते प्रचलित हुई है। यह गीत प्रसिद्ध कवि अमीर ख़ुसरो द्वारा रचित फ़ारसी व बृजभाषा के मिलन से बनी कविता से प्रेरित है। यह कविता मूल रूप में इस प्रकार है।
ज़िहाल-ए मिस्कीं मकुन तगाफ़ुल,
दुराये नैना बनाये बतियां...
कि ताब-ए-हिजरां नदारम ऐ जान,
न लेहो काहे लगाये छतियां...
इस मूल कविता का अर्थ है :
आँखे फेरके और बातें बनाके मेरी बेबसी को नजरअंदाज (तगाफ़ुल) मत कर...
हिज्र (जुदाई) की ताब (तपन) से जान नदारम (निकल रही) है तुम मुझे अपने सीने से क्यों नही लगाते...
इस कविता को गाने की शक्ल में कुछ यूँ लिखा गया है :
जिहाल-ए -मिस्कीं मकुन बरंजिश ,
बेहाल-ए -हिजरा बेचारा दिल है...
सुनाई देती है जिसकी धड़कन ,
तुम्हारा दिल या हमारा दिल है...
इस गाने की पहली दो पंक्तियों का अर्थ है :
मेरे दिल का थोड़ा ध्यान करो इससे रंजिश (नाराजगी) न रखो इस बेचारे ने अभी बिछड़ने का दुख सहा है...
Bhut khub
जवाब देंहटाएंGreat
जवाब देंहटाएंजिहाल-ए -मिस्कीं मकुन बरंजिश ,
जवाब देंहटाएंबेहाल-ए -हिजरा बेचारा दिल है...
सुनाई देती है जिसकी धड़कन ,
तुम्हारा दिल या हमारा दिल है
Bahutt badhiya
हटाएंvery nice thanks
जवाब देंहटाएंNice explanation ji.
जवाब देंहटाएंGreat 👌👌
जवाब देंहटाएंDil mai bahut dard hota hai agar paisa kat jaye khata se to baith kar rone ko dil karta hai
जवाब देंहटाएंMujhe lga tha ki mai hi 1 hun jise iska meaning pta nhi tha bt yha bht sare log h unhen v nhi pta
जवाब देंहटाएंअप्रतिम, गज़ब
जवाब देंहटाएंजिहाले मिस्की मकुन बिरंजिस
जवाब देंहटाएंबेहाल ए हिजरा बेचारा दिल है
सुनाई देती है जिसकी धड़कन
तुम्हारा दिल या हमारा दिल है। ।।।।
ठाकुर हीरेंद्र दांगी खनाखेड़ी
Important जानकारी थैंक यू महत्वपूर्ण जानकारी धन्यवाद
जवाब देंहटाएंThank you so much 🙏 🙏
जवाब देंहटाएंVery unique spiritual dohe.
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