जम्मू कश्मीर की जलवायु स्थिति के कारण इसकी दो राजधानियां हैं गर्मियों में श्रीनगर तथा सर्दियों में जम्मू। इसलिए प्रत्येक छः माह बाद जम्मू कश्मीर की राजधानी को स्थानांतरित किया जाता है और स्थानांतरण की यही प्रक्रिया "दरबार मूव" के नाम से जानी जाती है। राजधानी बदलने की यह परंपरा वर्ष 1872 में उस समय जम्मू-कश्मीर के शासक रहे डोगरा महाराज रणबीर सिंह ने शुरू की थी। श्रीनगर की असहनीय सर्दी व जम्मू की तकलीफदेह गर्मी से बचने के लिए मौसम बदलने पर वे अपने दरबार को मौसमानुसार स्थानांतरित कर लेते थे। डोगरा शासकों ने यह परंपरा वर्ष 1947 तक निभाई तथा भारत की आजादी के बाद दरबार की जगह राजधानी स्थानांतरण शुरू हो गया लेकिन इस स्थानांतरण प्रक्रिया को आज भी दरबार मूव के नाम से जाना जाता है।
अन्य तथ्य : दरबार मूव की परंपरा को बहुत बार समाप्त करने की माँग भी उठती रही है क्योंकि इस प्रक्रिया में सरकार को 100 करोड़ से भी अधिक खर्च बेवजह उठाना पड़ता है जिसके तहत 200 से अधिक ट्रकों में कंप्यूटर, फाइल्स और फर्नीचर इत्यादि भरकर 300 किलोमीटर दूर पहुँचाए जाते हैं व कई बसों की सेवा लेकर सरकारी कर्मचारियों को स्थानांतरित किया जाता है। दरबार मूव के तहत राजधानी, सचिवालय के साथ-साथ हाईकोर्ट को भी स्थानांतरित किया जाता है। ज्यादातर राजनीतिज्ञों के मानना है कि जम्मू की जलवायु पूरे वर्ष सामान्य रूप से कार्य करने हेतु उपयुक्त है इसलिए 150 वर्ष पुरानी परंपरा को आज के आधुनिक युग में (जबकि अधिक्तर सरकारी सेवाएं ऑनलाइन उपलब्ध हैं) ढोए जाने का कोई तर्क नही बनता तथा अब जम्मू-कश्मीर की एक राजधानी स्थिर कर देनी चाहिए। लेकिन जब भी इस परंपरा को समाप्त करने की कोशिश की जाती है तो स्थानीय लोगों की भावनाएं व कुछ राजनीतिक अड़चने सामने आने लगती हैं।