हाल ही में अमेरिकी राष्टपति डोनाल्ड ट्रम्प ने G7 के 46 वें सम्मेलन को यह कहते हुए टाल दिया कि मुझे नही लगता अब G7 समूह दुनिया के उस भाग का प्रतिनिधित्व करता है जिसमें दुनिया की नई घटनाएं घट रही हैं। इसके साथ ही ट्रम्प ने भारत सहित रूस, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिणी कोरिया को G7 का सदस्य बनने के लिए आमंत्रित किया हालांकि नए देशों की यह सदस्यता स्थाई होगी या अस्थाई इस पर अभी असमंजस बना हुआ है।
लेकिन प्रश्न यहाँ पर यह उठता है कि ये G7 क्या बला है और क्यों अब इसमें भारत सहित रूस जैसे देशों को शामिल किया जाना आवश्यक हो गया है।
दरअसल ग्रुप ऑफ सेवन अर्थात G7 सात देशों का एक समूह है ये देश हैं कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूके और यूएसए। वहीं कभी-कभी यूरोपीय संघ को भी इसका आठवां सदस्य मान लिया जाता है क्योंकि यह संघ एक सदस्य होने के सभी अधिकार रखता है। यद्द्पि ज्यादातर समय यूरोपीय संघ को एक अलग सदस्य के रूप में नही गिना जाता।
ये सातों देश अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष जिसे व्यवहारिक रूप से IMF कहा जाता है के द्वारा एडवांस इकॉनमी यानी कि उन्नत अर्थव्यवस्था घोषित हैं।
प्रत्येक वर्ष G7 के सदस्य देशों की सरकार के नेता एक मीटिंग करते हैं जिसे आम बोलचाल में शिखर सम्मेलन कहा जाता है इस सम्मेलन में सभी सदस्य देशों के प्रतिनिधि भाग लेते हैं। दो दिन चलने वाली इस मीटिंग में वैश्विक समस्याओं के बारे में बात की जाती है तथा उनके हल ढूंढे जाने का प्रयास किया जाता है।
G7 की मीटिंग का फोकस मुख्य रूप से आर्थिक गतिविधियों पर होता है। वैश्विक स्तर पर आए किसी तरह के वित्तीय संकट की चर्चा G7 सम्मेलन में की जाती है जैसे कि कच्चे तेल के उत्पादन में आई कमी पर बात करना या मौद्रिक प्रणाली की सरंचना की मौजूदा स्थिति पर ध्यान देना इत्यादि।
सभी सदस्य देशों के पास एक-एक कर G7 की अध्यक्षता आती है। जहाँ पर आवश्यकता होती है ये सभी देश एक साथ मिलकर किसी वैश्विक समस्या को सुलझाने की पहल भी करते हैं।
शुरुआती तौर पर स्थापना के समय वर्ष 1975 में इस समूह का नाम G6 था लेकिन अगले वर्ष 1976 में कनाडा भी इस समूह का हिस्सा बना और इसका नाम G7 पड़ा। इसके बाद वर्ष 1998 में रूस भी इस समूह में शामिल हुआ और इसे G8 का दर्जा दिया गया लेकिन वर्ष 2014 में रूस द्वारा क्रीमिया पर किए गए कब्जे के बाद रूस को G7 से बर्खास्त कर दिया गया और यह समूह फिर से G7 में तब्दील हो गया।
अब यदि भारत, रूस, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया इस समूह का सदस्य बनते हैं तो यह समूह G11 के नाम से जाना जाएगा।
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