जैविक हथियार ऐसे सूक्ष्मजीवी (वायरस, बैक्टीरिया, फंगस और अन्य हानिकारक तत्व) हैं जिन्हें लैब्स में पैदा किया जाता है और जानबूझकर फैलाया जाता है। इसका उद्देश्य इंसानों की बड़े स्तर पर हत्या करना या उनमें बीमारी पैदा करना होता है। इस कार्य के लिए बायोलॉजिकल एजेंट्स का प्रयोग किया जाता है। जैविक हथियार से बहुत कम समय में बहुत ज्यादा लोगों की मौत हो सकती है। इन हथियारों से किसी खास टारगेट या व्यापक जनसमुदाय को निशाना बनाया जा सकता है।
जैविक हथियार को अंग्रेजी में Biological Weapon (बायोलॉजिकल वेपन) कहा जाता है।
बॉयोलॉजिकल एजेंट (जैविक प्रतिनिधि) : कुछ विशेष वायरस, बैक्टीरिया, फंगस या अन्य हानिकारक तत्व विशेष बीमारियों के लिए उत्तरदायी होते हैं। उदाहरण के रूप में हम Bacillus Anthracis को देख सकते हैं जो कि Anthrax नामक बीमारी के लिए उत्तरदायी है। इस बीमारी का इलाज ना मिले तो 20 से 80% लोगों की मृत्यु हो जाती है।
इसके अन्य उदाहरणों में एंथ्रेक्स, प्लेग, बोटूलिज्म, टूलेरीमिया, ग्लैन्डर, जैसे खतरनाक जैविक हमले जैविक हथियारों में शामिल हैं।
बायोलॉजिकल वारफेयर (जैविक युद्ध) : जब पारंपरिक हथियारों का प्रयोग ना कर जैविक हथियारों की मदद से दूसरे देशों को नुकसान पहुँचाया जाता है तो इसे बायोलॉजिकल वारफेयर कहा जाता है। इस तरह के युद्ध को जर्म वारफेयर (रोगाणु युद्ध) के नाम से भी जाना जाता है।
बायोटेररिज्म (जैव आंतकवाद) : बायोटेरोरिज्म वो आतंकवाद है जिसमें आतंक फैलाने के लिए जैविक एजेंटों का जानबूझकर प्रसार किया जाता है।
बायोलॉजिकल अटैक के उदाहरण :
1. छठी शताब्दी ईसा पूर्व मेसोपोटामिया के अस्सूर साम्राज्य द्वारा दुश्मनों के पानी पीने के कुओं में एक विषाक्त पदार्थ डाल दिया गया था जिसकी वजह से दुश्मन समुदाय के बहुत से लोगों की मृत्यु हो गई थी।
2. चौथी शताब्दी ईसा पूर्व साइबेरिया के स्केथियन नामक कबीले के लोग मरे हुए लोगों के खून में सने तीरों का प्रयोग करते थे।
3. यूरोपीय इतिहास में इस बात के प्रमाण हैं कि वे दुश्मनों के कुओं में मरे हुए जानवरों के मृत शरीर डाल दिया करते थे; जिससे आसपास के लोगों संक्रमण का शिकार हो जाते थे।
4. माना जाता है कि ब्लैक डेथ (प्लेग) की महामारी को यूरोप के क्षेत्र में फैलने का कारण तुर्की तथा मंगोल के सैनिकों द्वारा संक्रमित जानवरों के मृत शरीरों को नगरों में फिंकवाया जाना था।
5. प्रथम विश्व युद्ध में जर्मनी द्वारा जैविक हथियारों (एंथ्रेक्स तथा ग्लैंडर्स के एजेंट्स) का इस्तेमाल किया गया था।
6. द्वितीय विश्व युद्ध में जापान द्वारा दुश्मन देशों खिलाफ जैविक हथियारों का इस्तेमाल किया गया था।
7. वर्ष 2001 में अमेरिका में छोटे स्तर पर लेकिन कई स्थानों पर एंथ्रेक्स हमला हुआ था।
जैविक अटैक के कारण :
1. पाउडर या तरल अवस्था में फेंकना आसान
2. कम समय में बड़े स्तर पर नरसंहार
3. दर्दनाक मृत्यु (भय का कारण)
4. लंबे समय तक प्रभावी
5. कम खर्च तथा आसान उपलब्धता
जैविक हथियारों की रोकथाम : वर्ष 1972 में बायोलॉजिकल वेपन कन्वेंशन (BWC) की स्थापना हुई थी जो जैविक हथियारों से पनपते खतरों को देखते हुए इनकी वैश्विक स्तर पर रोकथाम हेतु प्रयासरत है। आज भारत सहित 183 देश इसके सदस्य हैं।