हाल ही में जम्मू कश्मीर, नागालैंड, मणिपुर तथा उत्तराखंड के वन नेशन वन राशन कार्ड योजना में शामिल होने के बाद इस योजना में शामिल होने वाले राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों की संख्या 24 हो गई है और जल्द ही यह योजना बचे हुए राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में भी लागू कर दी जाएगी। तो ऐसे में यह जानना आवश्यक हो जाता है कि वन नेशन वन राशन कार्ड योजना आखिर है क्या और इस योजना को लागू करने के पीछे सरकार के क्या उद्देश्य हैं? तो चलिए इस योजना को समझने की कोशिश करते हैं।
दरअसल वन नेशन वन राशन कार्ड वह योजना है जिसके जरिए केंद्र सरकार सभी राज्यों में फैले PDS (पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम; सार्वजनिक वितरण प्रणाली) को एक ही छत के नीचे लाने हेतु कार्यरत है। ताकि किसी भी राज्य का नागरिक दूसरे राज्य से अपने राशन कार्ड का प्रयोग कर सरकारी सब्सिडी वाले सस्ते राशन को प्राप्त कर सके जिसमें मुख्यतः अनाज व चावल शामिल हैं।
PDS (पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम) से अभिप्रायः राशन की उन सस्ती दुकानों से है जिनके माध्यम से सरकार गरीबों तक कम दाम में राशन पहुँचाती है; गाँव देहात में इन दुकानों को कोटा नाम से जाना जाता है।
सरकार द्वारा इन सभी पीडीएस को जोड़ने का काम मार्च 2021 तक समाप्त किए जाने का लक्ष्य रखा गया है।
100 प्रतिशत पीडीएस के आपस में जुड़ने के बाद देश के सभी नागरिक अपने राशन कार्ड की मदद से देश के किसी भी कोने में रहते हुए वहां के स्थानीय पीडीएस से सस्ता राशन प्राप्त कर सकेंगे।
हालांकि यदि कोई राज्य विशेष केवल अपने नागरिकों के लिए कोई खाद्य सुरक्षा योजना चला रहा है तो इसका लाभ अन्य राज्यों के नागरिकों को नही मिलेगा।
किसी भी प्रकार के भ्र्ष्टाचार को रोकने के लिए इस योजना के अंतर्गत सभी पीडीएस को इंटरनेट से जोड़ा जाएगा ताकि आवश्यक्तानुसार फिंगर प्रिंट के माध्यम से किसी भी पीडीएस से राशन लिया जा सके।
सभी पीडीएस पर PoS (पॉइंट ऑफ सेल) डिवाइस लगाए जाएंगे जिससे जुड़े आधार कार्ड के जरिए राशन लेने वाले की पहचान को सत्यापित किया जाएगा।
वहीं ऐसे लोग जो अलग-अलग राज्यों में जाकर एक से अधिक राशन कार्ड बनवा लेते थे उन पर भी लगाम लगाई जा सकेगी।
शुरू में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर यह योजना एक दूसरे से सट्टे आंध्रप्रदेश-तेलंगाना तथा गुजरात-महाराष्ट्र में लागू की गई थी। जिसके बाद तेलंगाना के लोग आंध्रप्रदेश तथा आंध्रप्रदेश के लोग तेलंगाना के पीडीएस से राशन लेने में सक्षम हुए। ठीक ऐसे ही महाराष्ट्र तथा गुजरात राज्यों में किया गया। इसके बाद इस योजना को राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने का कार्य शुरू कर दिया गया।
इस योजना से प्रवासी मजदूरों को सबसे अधिक लाभ होगा। गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार भारत में लगभग 4 करोड़ प्रवासी मजदूर हैं जो रोजगार हेतु अन्य राज्यों में काम कर रहे हैं।
उदाहरण के तौर पर पहले यदि कोई बिहार का मजदूर हरियाणा में काम कर रहा होता था तो उसे सस्ता राशन प्राप्त नही होता था क्योंकि उसका राशन कार्ड बिहार का होता था; वन नेशन वन राशन कार्ड योजना लागू होने के बाद मजदूरों को इस समस्या से छुटकारा मिल जाएगा और वे किसी भी राज्य में रहते हुए वहां के स्थानीय पीडीएस से सस्ता राशन प्राप्त कर सकेंगे।
01 जनवरी 2020 से इस योजना को लागू किए जाने की शुरुआत आध्र प्रदेश ,तेलंगाना गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड, पंजाब, कर्नाटक, केरल, त्रिपुरा तथा राजस्थान राज्यों से की गई थी। जिसे मार्च 2021 तक पूरे देश में लागू कर दिया जाएगा।
इसके अलावा पहले जो राशन कार्ड के फॉर्मेट थे वो राज्यों के अनुसार अलग-अलग थे लेकिन अब पूरे देश में एक ही तरह के राशन कार्ड आबंटित किए जाएंगे।
नए राशन कार्ड के लिए किसी भी नागरिक को आवेदन करने की जरूरत नही है बल्कि सरकार पीडीएस के माध्यम से उपलब्ध आंकड़ो के आधार पर स्वयं लोगों को इस योजना से जोड़ने का काम करेगी।
इस योजना के अंतर्गत शुरुआती मूल्य के रूप में गेहूँ 3 रुपए प्रति किलोग्राम तथा चावल 2 रुपए प्रति किलोग्राम के मूल्य पर आबंटित किए जाएंगे।