हाल ही में रूस ने दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन को रेजिस्टर करवाया है।
इस वैक्सीन का नाम रूस ने अपने प्रथम उपग्रह स्पुतनिक के नाम पर "स्पुतनिक V" रखा है।
गौरतलब है कि रूस का पहला कृत्रिम उपग्रह स्पुतनिक 1 था जो कि विश्व का प्रथम कृत्रिम उपग्रह बना जिसने पृथ्वी की परिक्रमा की। उस समय रूस सोवियत संघ के रूप में दुनिया की दूसरी धुरी हुआ करता था।
सोवियत संघ ने 04 अक्टूबर 1957 के दिन इस उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा में प्रक्षेपित किया था इसकी बैटरी के डेड डिस्चार्ज होने से पहले इस उपग्रह ने तीन सप्ताह तक पृथ्वी की परिक्रमा की तथा इसके 02 महीने बाद पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर नष्ट हो गया। लेकिन इस उपग्रह ने अंतरिक्ष युग को जन्म दे दिया जिसके बाद दुनिया के देशों के मध्य स्पेस रेस शुरू हो गई।
दुनिया में कोरोना वायरस के कुल मामले 2 करोड़ से पार जा चुके हैं वहीं वर्ल्डओमीटर के आंकड़ो के अनुसार भारत में 23 लाख कोरोना मामले पाए जा चुके हैं। ऐसे में इस दवा ने एक सुखद खबर दी है।
रूस को इस दवा के लिए 20 देशों से 01 करोड़ वैक्सीन बनाने के ऑर्डर मिल चुके हैं।
आम लोगों के लिए यह वैक्सीन जनवरी 2021 तक उपलब्ध होने की संभावना है।
स्पूतनिक रूसी भाषा का शब्द है जिसका अंग्रेजी में अर्थ होता है फेलो ट्रैवलर (Fellow Traveller) (हिंदी में कहा जाए तो "सह यात्री या साथी")
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने खुद इस वैक्सीन के बनने की घोषणा की है।
उन्होंने कहा कि उनकी बेटी को इस वैक्सीन का डोज दिया जा चुका है और वो स्वस्थ महसूस कर रही है।
इस वैक्सीन का शुरुआती नाम Gam-COVID-Vac Lyo रखा गया था। जबकि विदेशी डील्स में इसे स्पुतनिक V नाम दिया गया है।
रूस के स्वास्थ्य मंत्री ओलेड ग्रिडनेव के अनुसार यह वैक्सीन मॉस्को के गैमेल्या इंस्टीट्यूट तथा रूस के रक्षा मंत्रालय द्वारा सयुंक्त रूप से विकसित की गई है।
इस वैक्सीन को बनाने में अडेनोवायरस (Adenovirus) का इस्तेमाल किया गया है जो कि एक सामान्य जुकाम के लिए उत्तरदायी होता है।
इस वैक्सीन का मास प्रोडक्शन (बड़े स्तर पर उत्पादन) सितंबर 2020 से शुरू होने की संभावना है।
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