मारिजुआना एक नशीला पदार्थ है जो Cannabis (कैनबिज) नामक पौधे का प्रयोग कर भिन्न-भिन्न विधियों से बनाया जाता है।
मारिजुआना को हिंदी में "गाँजा" नाम से जाना जाता है; वहीं इसके पौधे कैनबिज को हिंदी में "भांग का पौधा" कहा जाता है।
गाँजे के पौधे का साइंटिफिक नाम "कैनबिस सैटाइवा" है।
इसका प्रयोग मनोसक्रिय मादक
(Psychoactive Drug) के रूप में किया जाता है।
आमतौर पर गाँजा; भांग के मादा पौधे के फूल, आसपास की पत्तियों एवं तनों को सुखाकर बनाया जाता है।
गाँजे का सेवन व्यक्ति की उत्तेजना को बढ़ाता है। गाँजे मे मिलाई जाने वाली तंबाकू मिरजी कर्करोग (Cancer) का मुख्य कारण है।
हालांकि गाँजे का सेवन बहुत से रोगों का कारण बनता है इसके सेवन से व्यक्ति के चेहरे पर काले धब्बे (Spots) पड़ जाते है।
यद्द्पि इसका प्रयोग औषधियां बनाने में भी किया जाता है; दुनिया में सबसे बेहतरीन गांजा मलाना हिल्स हिमाचल प्रदेश में ऊगता है।
गाँजे से मिलते जुलते शब्दों में "चरस" तथा "सुल्फे" का नाम आता है।
चरस दरअसल गाँजे के पौधे से निकला हुआ चिपचिपा द्रव है चरस को ही सुल्फा कहा जाता है यह हरे व पीले रंग का होता है।
गाँजा भारत में गैर कानूनी है जिसे कई बार अर्थव्यवस्था को हो रहे नुकसान की तरह भी देखा जाता है क्योंकि गाँजे की खपत बहुत ज्यादा है।
वैसे तो यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ज्यादातर देशों में बैन है लेकिन कुछ पश्चिमी देश इसे लीगल भी कर रहे हैं।
फ्रांस के लोग गाँजे का सेवन आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए करते हैं।
भारत में गाँजे का सेवन 5000 वर्ष पूर्व से होता आया है; ऐसे प्रमाण मिलते हैं; वहीं एक अनुमान के मुताबिक मौजूदा समय में लगभग 3 करोड़ भारतीय इसका इस्तेमाल करते हैं। माना जाता है कि यह शराब के बाद इस्तेमाल किया जाने वाला दूसरा सबसे बड़ा नशा है।
गाँजे की प्रचीन समय से एक औषधि के रूप मान्यता रही है यही कारण है कि कर्नाटक के कुछ मंदिरों में आज भी गाँजा प्रसाद के रूप में दिया जाता है।
हाल ही में कनाडा ने गाँजे के इस्तेमाल को कानूनी वैधता दी है इसीलिए बहुत से देश इसे वैध बनाने को लेकर विचार कर रहे हैं।
प्राचीन समय से ही लोगों में मान्यता है कि गाँजा यौन उत्तेजना को बढ़ाता है; हालांकि इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नही है। इसके उलट डॉक्टर्स के अनुसार नशा करना यौन संबंधी समस्याओं को बुलावा देने का काम करता है।
वर्तमान में गांजा रखना, इसका व्यापार करना, इसे लाना ले जाना और उपभोग करना "नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटांसेज एक्ट 1985 के तहत भारत में प्रतिबंधित है और ये गतिविधियां गैर कानूनी हैं।
हालांकि इसे कानूनी वैधता देने की माँग अन्य देशों की तरह भारत में भी उठती रहती है।
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