राफेल या रफायल (Rafale) एक फ्रेंच नाम है इसका हिंदी में अर्थ है "हवा का झोंका"
राफेल एक मल्टीरोल फाइटर है जिसमें डबल इंजन तथा डेल्टा (त्रिकोण) विंग हैं।
राफेल फ्रांस देश में बनता है; इसे बनाने वाली कंपनी का नाम डसॉल्ट एविएशन है।
राफेल में एयर सुपरमेसी और इंटरडिक्शन की विशेषता है जिस कारण यह हवा में गौते खाते हुए बमबारी करने में समर्थ है।
इसे एक बड़ी श्रृंखला में हथियारों के साथ लैस किया जा सकता है; शिप विरोधी मारक क्षमता के साथ यह परमाणु हथियार लाने ले जाने में सक्षम है।
राफेल का निर्माण वर्ष 1986 में शुरू किया गया था। शुरुआत में इसका इस्तेमाल फ्रांस, इजिप्ट और कतर की वायु सेना द्वारा किया गया था।
रिपोर्ट्स के अनुसार भारत ने फ्रांस की कंपनी डिसॉल्ट एविएशन से 36 राफेल 58 हजार करोड़ रुपए में खरीदे हैं।
जुलाई 2020 में 5 राफेल विमानों का पहला बैच भारत में भेजा गया।
वहीं सभी 36 राफेल विमान के 2022 तक डिलीवर होने की संभावना है।
भारत में भेजे गए राफेल विमानों में भारत की भौगोलिक स्थिति व क्षमता के अनुसार कुछ बदलाव किए गए हैं।
जो इसे राडार वॉर्निंग, फ्लाइट डेटा रिकॉर्डिंग, इंफ्रारेड सर्च तथा अन्य ट्रैकिंग सिस्टम से लैस करते हैं।
यह भारतीय वायु सेना में अब तक का सबसे आधुनिक लड़ाकू विमान है।
राफेल की लंबाई 15.30 मीटर, ऊँचाई 5.30 मीटर तथा इसके पंखों का फैलाव 10.90 मीटर है।
इसका अन-लोडेड स्थिति में भार 10 टन है जबकि लोडेड स्थिति में इसका भार 25.5 टन है।
राफेल की स्पीड की बात की जाए तो यह ध्वनि से लगभग दुगुनी रफ्तार से उड़ सकता है; इसकी टॉप स्पीड 1.8 Mach यानी 2222 किलोमीटर प्रति घण्टा है।
एक बार ईंधन भरने के बाद यह 3,700 किलोमीटर तक लगातार उड़ सकता है।
राफेल की सर्विस सीलिंग 50 हजार फीट है यानी कि यह 50 हजार फीट की ऊँचाई पर बिना किसी परेशानी के उड़ने में सक्षम है।
राफेल में हथियार इम्प्लांट करने के लिए 14 स्थान बनाए गए हैं वहीं आधुनिक Meteor हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल भी इसके हथियारों में शामिल है।
फ्रांस की वायु सेना राफेल लड़ाकू विमान का इस्तेमाल इसे अफ़ग़ानिस्तान, लीबिया और माली में किए गए ऑपरेशन्स में कर चुकी है।
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