तालिबान अफगानिस्तान में एक सुन्नी इस्लामी कट्टरपंथी राजनीतिक आंदोलन और सैन्य संगठन हैं।
तालिबान का शाब्दिक अर्थ होता है "ज्ञानार्थी" यानी छात्र; जो सीखने की इच्छा रखता हो।
तालिबान का उदय 90 के दशक में पाकिस्तान के उत्तरी इलाकों में उस समय हुआ जब सोवियत यूनियन की सेना अफगानिस्तान से वापिस जा रही थी। क्योंकि सोवियत के जाने के बाद अफगानिस्तान के स्थानीय गुटों में शक्ति को लेकर टकराव होने लगा था।
इन्हीं गुटों में से एक पश्तूनों के नेतृत्व में उभरे तालिबान का अफगानिस्तान में स्वागत हुआ; और 1994 में इसका व्यापक दबदबा दिखाई देने लगा।
शुरू में तालिबान को लोगों का साथ मिला क्योंकि इसने भ्र्ष्टाचार पर रोक लगाते हुए लोगों को सुरक्षा मुहैय्या करवाई और अपने कब्जे वाले इलाकों में व्यापार करने योग्य माहौल का निर्माण किया।
1998 तक तालिबान का कब्जा व प्रभाव 90% अफगानिस्तान पर कायम हो चुका था।
प्रभाव स्थापित होने के बाद तालिबान ने कठोरता बरतनी शुरू कर दी; उसने इस्लामिक कानून के तहत सजा लागू करवाई व खुद भी सजाएं लागू करने लगा।
इसके तहत हत्या के दोषियों को सार्वजनिक फाँसी और चोरी के दोषियों के हाथ-पैर काटने जैसी अमानवीय सजाएं दी जाने लगी।
पुरुषों को दाढ़ी रखने और स्त्रियों को बुरका पहनने जैसे सख्त नियम लागू कर दिए गए और 10 वर्ष से ज्यादा उम्र की लड़कियों के स्कूल जाने पर रोक लगा दी गई। गीत-संगीत और टीवी सिनेमा जैसे मनोरंजन के साधनों को भी प्रतिबंध लगा दिया गया।
शुरुआती तौर पर तालिबान केवल अफगानिस्तान में सिमटा हुआ था लेकिन न्यूयॉर्क में 2001 में हुए हमले में तालिबान का नाम आने के बाद तालिबान पर दुनिया की नजर पड़ी। अमेरिका ने आरोप लगाया कि तालिबान ने ओसामा बिन लादेन और अल कायदा को पनाह दी है जिन्हें न्यूयॉर्क हमलों को दोषी माना जा रहा था।
फलस्वरूप वर्ष 2001 में अमेरिका के नेतृत्व वाले गठबंधन ने अफगानिस्तान पर हमला कर दिया; और तालिबान को अफगानिस्तान की सत्ता से बेदखल कर दिया गया।
लेकिन तालिबान का पूर्ण खात्मा करने में अमेरिका असफल रहा; और तालिबान समय-समय पर सिर उठाता रहा।
आज भी तालिबान का अफगानिस्तान में दबदबा कायम है 2016 से तालिबान का लीडर हिबतुल्लाह अखुंदजादा है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें