प्राचीन अर्थानुसार वानर सेना किष्किंधा (जो स्थान आज हम्पी नाम से जाना जाता है) के राजा वाली तथा सुग्रीव की सेना को वानर सेना कहा जाता है।
लेकिन अधुनिक भारत की बात की जाए तो वर्ष 1930 में इंदिरा गांधी द्वारा बाल्यवस्था में बनाई गई एक विंग का नाम "वानर सेना" था।
इसके जरिए भारत की आजादी के संघर्ष में बच्चों को भी शामिल किया गया था।
देश की आजादी का जज्बा रखने वाली बच्चों की यही सेना वानर सेना कहलाती थी।
धीरे-धीरे इस सेना में 60 हजार युवा क्रांतिकारी शामिल हो गए थे जिन्होंने देश के झंडे बनाने और संदेश इधर-उधर करने संबंधी महत्वपूर्ण कार्य किए।