आज इस आर्टिकल में हम विदेशी मुद्रा भंडार के बारे में जानेंगे। हाल ही में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार ने पहली बार 500 अरब डॉलर का आंकड़ा पार किया है क्योंकि लॉकडाउन के कारण अंतराष्ट्रीय खर्चे कम हुए हैं जिसकेे चलते विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। आइए जानते हैं विदेशी मुद्रा भंडार क्या होता है।
विदेशी मुद्रा भंडार को अंग्रेजी में Forex Reserves कहा जाता है।
विदेशी मुद्रा भंडार वह खजाना होता है जिसमें विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति, स्वर्ण भंडार, विशेष आहरण अधिकार, अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष में रिज़र्व ट्रेंच आदि को जोड़ा जाता है। इन सबके जोड़ से जो राशि बनती है उसे विदेशी मुद्रा भंडार कहा जाता है।
यहाँ पर विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति से आशय दूसरे देशों की उस मुद्रा के उस भंडार से है जो किसी देश के पास आरक्षित होता है।
वहीं स्वर्ण भंडार से आशय सोने के भंडार से है।
वहीं विशेष आहरण अधिकार जिसे अंग्रेजी में Special Drawing Rights या संक्षिप्त में SDR कहा जाता है; एक विशेष तरह की आरक्षित मुद्रा है जिसका प्रयोग अंतराष्ट्रीय स्तर पर तरलता बढ़ाने के लिए होता है। इस विशेष मुद्रा का निर्माण डॉलर और सोने में उतार-चढ़ाव को देखते हुए IMF द्वारा वर्ष 1969 में किया गया था।
इसके बाद आता है रिज़र्व ट्रेंच; यह वो मुद्रा है जो सभी सदस्य देशों द्वारा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (अर्थात IMF) को प्रदान की जाती है। सदस्य देश इसका प्रयोग आपातकाल की स्थिति में करते हैं।
इन सब से मिलकर जिस राशि का निर्माण होता है उसे विदेशी मुद्रा भंडार कहा जाता है। मौजूदा समय में सर्वाधिक विदेशी मुद्रा भंडार चीन के पास है।
वहीं 500 अरब डॉलर के विदेशी मुद्रा भंडार के साथ भारत का नाम चीन, जापान, स्विट्ज़रलैंड और रूस के बाद आता है।