ट्रिस्ट विद डेस्टिनी एक भाषण का शीर्षक है। यह भाषण पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा 14 अगस्त 1947 की आधी रात दिया गया था। यह स्वतंत्र भारत का प्रथम भाषण था। ट्रिस्ट विद डेस्टिनी का हिंदी में अर्थ होता है " नियति से मिलने का वादा या नियति से साक्षात्कार। यह भाषा बीसवीं शताब्दी के महानतम भाषणों में से एक है। ट्रिस्ट विद डेस्टिनी भाषण देने वाले पंडित जवाहरलाल नेहरू बाद में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने थे। इस भाषण पर अनेक विद्वानों के अपने-अपने मत हैं। भारत के इतिहास में यह भाषण स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस व भारत सरकार की वेबसाइट्स पर इस भाषण की कॉपी उपलब्ध है। इस भाषण की शुरुआती पंक्तियां इस प्रकार हैं : "कई सालों पहले, हमने नियति के साथ एक वादा किया था, और अब समय आ गया है कि हम अपना वादा निभाएं। पूरी तरह न सही पर बहुत हद तक तो निभाएं; आधी रात के समय जब दुनिया सो रही होगी भारत जीवन और स्वतंत्रता के लिए जाग जाएगा"