कोंगूनाडु का मुद्दा वर्ष 2021 में सुर्खियों में आया जब केंद्रीय मंत्रालय द्वारा जिन मंत्रियों की सूची जारी की गई उनमें से एल मुरूगन नामक केंद्रीय मंत्री के नाम के साथ कोंगु नाडु शब्द लगाया गय। इस सूची में बताया गया था कि एल मुरूगन कोंगुनाडु, तमिलनाडु से आते हैं और यहीं से कोंगुनाडु चर्चा में आ गया।
अब यह कोंगुनाडु है क्या? दरअसल कोंगुनाडु का सम्बंध तमिलनाडु से है हालांकि यह तमिलनाडु में किसी तरह का कोई स्थान नहीं है ना ही किसी प्रकार का कोई गांव है ना ही कोई शहर है बल्कि यह केवल एक ऐसे क्षेत्र का नाम है जो प्राचीन समय में अस्तित्व में था। तमिल साहित्य के अनुसार तमिल में प्राचीन समय में 5 क्षेत्रों में बंटा हुआ था और उन्हीं में से एक क्षेत्र था कोंगुनाडु। यह क्षेत्र मौजूदा समय में तमिलनाडु के पश्चिम में पड़ता है और इसमें तमिलनाडु के कुछ से जिले आते हैं जैसे कि नीलगिरी, कोयंबटूर तिरुपुर, इरोद, करूर, नमक्कल और सलीम।
इसके साथ ही डिंडीगुल जिले के कुछ क्षेत्र भी इसमें आते हैं साथ ही धर्मपुरी जिले के भी कुछ क्षेत्र इसमें शामिल हैं। इन सब क्षेत्रों को सामूहिक रूप से आम बोलचाल में कोंगूनाडु कह दिया जाता है। हालांकि कोंगूनाडु शब्द का जिक्र तमिलनाडु के किसी भी सरकारी दस्तावेज में नहीं है और ना ही यह नाम आधिकारिक रूप से किसी भी क्षेत्र को दिया गया है। इस शब्द की उतपत्ति तमिलनाडु के पश्चिमी क्षेत्र बहुतयात तौर पर रहने वाली ओबीसी जाति कोंगु वेल्लाला के नाम पर हुई है जिसकी इस क्षेत्र में जिसे कोंगूनाडु कहा जाता है अच्छी खासी तादाद है। भारत की राजनीति में इस शब्द को यह कहकर उछाला जा रहा था कि केंद्र सरकार तमिलनाडु से अलग कर एक नया राज्य कोंगुनाडु बनाना चाहती है।