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Nirbhau Nirvair Meaning in Hindi | निरभउ निरवैर का अर्थ

यह शब्द में मुख्य रूप से पंजाबी सूबों में प्रचलित है क्योंकि इस शब्द का संबंध सिखों के 11वें गुरु का दर्जा प्राप्त श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी से है। श्री गुरु ग्रंथ साहिब में निरभउ-निरवैर शब्द का प्रयोग अकाल पुरख यानी कि ईश्वर के लिए किया गया है। इन दो शब्दों का प्रचलन पंजाबी सूबों में बहुत ज्यादा है इसलिए आप अक्सर इन दो शब्दों को सिख धर्म को मानने वालों के हाथ पर लिखा देखेंगे या फिर कुछ लोग अपनी गाड़ियों के शीशों पर भी इन दो शब्दों को लिखवाना पसंद करते हैं आइए जानते हैं इन शब्दों का क्या अर्थ होता है।

दरअसल इनमें से पहला शब्द निरभउ दो शब्दों से मिलकर बना है पहला शब्द है निर जिसका अर्थ होता है ना होना या त्याग देना (जैसे निराहार अर्थात आहार का ना होना या आहार त्याग देना) दूसरा शब्द है भउ जिसका अर्थ होता है भय। इस प्रकार निरभउ शब्द का अर्थ होता है भय का ना होना यानी कि "निर्भय" दूसरा शब्द भी दो शब्दों से मिलकर बना है इसमें भी निर का मतलब होता है ना होना या त्याग देना और वैर का मतलब होता है दुश्मनी। तो इस प्रकार निरवैर का संयुक्त का अर्थ होता है वह जिसकी किसी से भी दुश्मनी ना हो।

तो इस प्रकार सयुंक्त अर्थानुसार निरभउ-निरवैर वो होता है जिसका ना तो किसी से वैर होता है और ना ही उसे किसी का भय होता है। सिख धर्म में इसे ईश्वर की विशेषता माना गया है।

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