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127th Constitution Amendment meaning in Hindi | 127 वां संविधान संशोधन का अर्थ

हाल ही में 127 वां संविधान संशोधन विधेयक दोनों सदनों से पारित हो गया जिसके बाद यह चर्चा में बना हुआ है।

संविधान का 127 वां संशोधन राज्य सरकारों को अपने अनुसार राज्य की जातियों की OBC सूची जारी करने की शक्ति को बहाल करता है जो वर्ष 2018 में हुए 102 वें संविधान संशोधन के चलते राष्ट्रपति के पास चली गई थी।

दरअसल वर्ष 2018 से पूर्व OBC कैटेगरी में कौन सी जातियां होंगी इसकी सूची राज्य और केंद्र सरकार द्वारा अलग-अलग जारी की जाती थी अर्थात राज्य सरकारों के पास OBC सूची जारी करने के स्वतंत्र अधिकार थे।

इसी के चलते महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में मराठा आरक्षण लागू किया था जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 102 वें संशोधन के चलते संविधानिक रूप से अवैध करार दिया था।

102 वें संशोधन के जरिए संविधान में 338B और 342A को जोड़ा गया था।

अनुच्छेद 338B राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की सरंचना, कर्तव्यों और शक्तियों के बारे में है।

वहीं अनुच्छेद 342A राष्ट्रपति को राज्यों एंव केंद्र शासित प्रदेशों में सामाजिक एंव शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों को उल्लेखित करने का अधिकार देता है।

102 वें संशोधन के बाद राज्य सरकारें अपने अनुसार जातियों की OBC सूची जारी करने में असमर्थ हो गई क्योंकि इस संशोधन ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को एक संवैधानिक संस्था बना दिया जिसकी सिफारिश पर ही राष्ट्रपति OBC जातियों की नई सूची जारी कर सकते थे।

अब 127 वें संशोधन के जरिए इसी गलती को सुधारा गया है और OBC जातियों की सूची जारी करने की राज्य सरकारों को शक्ति को पुनः बहाल किया गया है।

इस संशोधन के जरिए संविधान के अनुच्छेद 342A के (1) और (2) में संशोधन किया गया है व राज्यों की शक्ति को स्पष्ट करने के लिए (3) जोड़ा गया है।

इसके साथ ही राज्यों की सरकारों को बिना OBC कमीशन के पास जाए OBC सूची जारी करने का अधिकार देने के लिए अनुच्छेद 366 और 338 में भी संशोधन किया गया है।

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