एक ऐसा देश जो शासन चलाने के लिए फासीवाद की विचारधारा का अनुसरण करता हो, फासीवादी राज्य कहलाता है। फासीवाद 20 वीं शताब्दी में इटली में बेनिटो मुसोलिनी (1882 - 1945) के नेतृत्व में प्रथम विश्व युद्ध के समय उभरी कट्टर दक्षिणपंथी विचारधारा थी
इसका उदय पूंजीपतियों के सहयोग से हुआ जो तत्कालीन समय में समाजवाद से डरे हुए थे। फासीवाद की विशेषताओं में तानाशाही शासन, व्यक्ति या समाज हित से ऊपर राष्ट्रहित व राज्य की सर्वोच्चता, विपक्ष का जबरन दमन, समाज और अर्थव्यवस्था पर कठोर नियंत्रण शामिल है
इसे सर्वाधिकारवाद का व्यवहारिक रूप माना जाता है। फासीवाद एक व्यवहारिक आंदोलन था जिस कारण अनेक विचारधारा वाले लोगों ने अपने अपने तरीके से इसमें अपना योगदान दिया, जिस कारण फासीवाद का कोई निश्चित सिद्धांत नही बन पाया। फासीवाद का उदय अराजकतावाद, लोकतंत्र, उदारवाद, शांतिवाद तथा मार्क्सवाद के विरोध में हुआ तथा इसे सत्ता की सर्वोच्चता, उग्र राष्ट्रवाद, युद्ध नायकवाद, साम्राज्यवाद, व्यक्तित्व पूजा और कठोर शासन का कट्टर समर्थक माना जाता है
इटली में पनपे इस फासीवादी राजनीतिक आंदोलन का प्रभाव यूरोप के अन्य देशों खासकर जर्मनी में हिटलर के नाजीवाद के रूप में देखने को मिला, आज भी कट्टर दक्षिणपंथी शासन चलाने वाले राजनीतिक दलों को फासीवादी दल कहकर संबोधित किया जाता है। इटली को हुए आर्थिक नुकसान तथा द्वितीय विश्वयुद्ध में इटली की करारी हार ने फासीवादी विचारधारा को खोखला साबित किया, फलस्वरूप 1940 के दशक में इस विचारधारा का नाजीवाद सहित अंत हो गया।