किसी भी लोकतांत्रिक राजनीतिक प्रणाली में दो कार्यपालिकाएं होती हैं - राजनीतिक कार्यपालिका एवं अराजनीतिक कार्यपालिका। राजनीतिक कार्यपालिका का कार्यकाल चुनावों के परिणामों पर निर्भर करता है इसलिए इसे अस्थायी कार्यपालिका कहा जाता हैं तो वहीं अराजनीतिक कार्यपालिका का कार्यकाल राजनीतिक सत्ता परिवर्तन से अप्रभावित रहता है इसलिए इसे स्थायी कार्यपालिका कहा जाता है, इसी स्थायी कार्यपालिका को आम बोलचाल में नौकरशाही या अधिकारी तंत्र के नाम से जाना जाता है। इस प्रकार नौकरशाही स्थायी सरकारी मशीनरी की तरह काम करती हैं। नौकरशाही शब्द ब्यूरो (जो कि एक फ्रांसीसी शब्द है) से बना है जिसका अर्थ होता है लिखने का मेज, इस प्रकार ब्यूरोक्रेसी को मेज का शासन कहा जाता है, जहां कार्यालय के मेज पर बैठ कर सरकार चलाई जाती है।
नौकरशाही के अन्य नाम हैं - सिविल सेवा, मैजिस्ट्रेसी, सरकारी निरंकुशवाद, विभागीय सरकार, विशिष्ट वर्ग व गैर-राजनीतिक कार्यपालिका। नौकरशाही के कारण ही समय-समय पर होने वाले राजनीतिक परिवर्तनों के बावजूद शासन-प्रशासन में स्थायित्व व निरंतरता बनी रहती है। नौकरशाही तंत्र एक निर्धारित सेवाशर्त के अधीन, नियम कानून के दायरे में रहकर शक्ति एवं सत्ता का जनहित में प्रयोग करते हैं तथा राजनीतिक नेतृत्व तथा जनता के प्रति उत्तरदायी होते हैं इसलिए इन्हें लोकसेवक भी कहा जाता है। नौकरशाही का अधिकारी तंत्र अपनी प्रकृति से निष्पक्ष, कार्यकुशल, दक्ष एवं प्रशिक्षित प्रशासक होता है जो राजनीतिक नेतृत्व को नीति निर्माण में सहयोग एवं परामर्श देता है तथा सरकार के निर्णयों को कार्यान्वित करता है।
नौकरशाही की विशेषताएं - नियमों-आदेशों व निर्णयों का लिखित रूप, स्पष्ट एवं निश्चित कार्यक्षेत्र, कुशल एंव मेधावी व्यक्तियों की नियुक्ति, तकनीकी नियमों व आदर्शों के आधार पर अधिकारियों के व्यवहार पर नियंत्रण, व्यवस्थित रिकॉर्ड, बाहरी अंकुश की कमी, पदों के एकाधिकार का अभाव, वेतन-पदोन्नति आदि की स्पष्टता।
नौकरशाही के कार्य - नीति-निर्माण संबंधी, विधि निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका, शासन के निर्णयों का पालन करवाना, प्रशासन को सुसंगठित बनाना, सामाजिक परिवर्तन हेतु तैयारी करना, जनता के विभिन्न वर्गों के बीच हितों में सामंजस्य बनाना।
नौकरशाही के गुण - जनकल्याण के लिए अनिवार्य, अनुभवी पदाधिकारियों की जनकल्याण सेवाएं, कार्यकुशलता, विशेषीकरण, अनुशासन, सतर्कता, विचारों में परिवर्तनशीलता, राजनीतिक तटस्थता, कर्तव्यनिष्ठा, न्याय तथा समानता का पालन।
नौकरशाही के दोष - उद्देश्यों की अवहेलना, नियमों की अंधभक्ति, लालफीताशाही, श्रेष्ठता की भावना व स्वयं को विशेषाधिकारी समझना, रूढ़िवादिता व नवीन आवश्यकताओं के प्रति उदासीनता, जनता के प्रति तानाशाही पूर्ण रवैय्या, एक ही व्यवस्था का आपसी असहयोग वाले विभागों में बंट जाना, अत्यधिक औपचारिकता, निर्णय लेने की कमी, कार्य संचालन में विलंभ, कठोर नियमबद्धता, जनता में अश्रद्धा, जन उत्तरदायित्व का अभाव, शक्ति प्रेम, कागजों में हेरा-फेरी, निरंकुशता।
नौकरशाही में सुधार हेतु सुझाव - जनसंपर्क, सत्ता का विकेंद्रीकरण, योग्य-चरित्रवान-निष्ठावान मंत्रियों का चुनाव।
नौकरशाही के अन्य नाम हैं - सिविल सेवा, मैजिस्ट्रेसी, सरकारी निरंकुशवाद, विभागीय सरकार, विशिष्ट वर्ग व गैर-राजनीतिक कार्यपालिका। नौकरशाही के कारण ही समय-समय पर होने वाले राजनीतिक परिवर्तनों के बावजूद शासन-प्रशासन में स्थायित्व व निरंतरता बनी रहती है। नौकरशाही तंत्र एक निर्धारित सेवाशर्त के अधीन, नियम कानून के दायरे में रहकर शक्ति एवं सत्ता का जनहित में प्रयोग करते हैं तथा राजनीतिक नेतृत्व तथा जनता के प्रति उत्तरदायी होते हैं इसलिए इन्हें लोकसेवक भी कहा जाता है। नौकरशाही का अधिकारी तंत्र अपनी प्रकृति से निष्पक्ष, कार्यकुशल, दक्ष एवं प्रशिक्षित प्रशासक होता है जो राजनीतिक नेतृत्व को नीति निर्माण में सहयोग एवं परामर्श देता है तथा सरकार के निर्णयों को कार्यान्वित करता है।
नौकरशाही की विशेषताएं - नियमों-आदेशों व निर्णयों का लिखित रूप, स्पष्ट एवं निश्चित कार्यक्षेत्र, कुशल एंव मेधावी व्यक्तियों की नियुक्ति, तकनीकी नियमों व आदर्शों के आधार पर अधिकारियों के व्यवहार पर नियंत्रण, व्यवस्थित रिकॉर्ड, बाहरी अंकुश की कमी, पदों के एकाधिकार का अभाव, वेतन-पदोन्नति आदि की स्पष्टता।
नौकरशाही के कार्य - नीति-निर्माण संबंधी, विधि निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका, शासन के निर्णयों का पालन करवाना, प्रशासन को सुसंगठित बनाना, सामाजिक परिवर्तन हेतु तैयारी करना, जनता के विभिन्न वर्गों के बीच हितों में सामंजस्य बनाना।
नौकरशाही के गुण - जनकल्याण के लिए अनिवार्य, अनुभवी पदाधिकारियों की जनकल्याण सेवाएं, कार्यकुशलता, विशेषीकरण, अनुशासन, सतर्कता, विचारों में परिवर्तनशीलता, राजनीतिक तटस्थता, कर्तव्यनिष्ठा, न्याय तथा समानता का पालन।
नौकरशाही के दोष - उद्देश्यों की अवहेलना, नियमों की अंधभक्ति, लालफीताशाही, श्रेष्ठता की भावना व स्वयं को विशेषाधिकारी समझना, रूढ़िवादिता व नवीन आवश्यकताओं के प्रति उदासीनता, जनता के प्रति तानाशाही पूर्ण रवैय्या, एक ही व्यवस्था का आपसी असहयोग वाले विभागों में बंट जाना, अत्यधिक औपचारिकता, निर्णय लेने की कमी, कार्य संचालन में विलंभ, कठोर नियमबद्धता, जनता में अश्रद्धा, जन उत्तरदायित्व का अभाव, शक्ति प्रेम, कागजों में हेरा-फेरी, निरंकुशता।
नौकरशाही में सुधार हेतु सुझाव - जनसंपर्क, सत्ता का विकेंद्रीकरण, योग्य-चरित्रवान-निष्ठावान मंत्रियों का चुनाव।