संविधान के उद्देश्यों को प्रकट करने हेतु अनुच्छेद शुरू होने से पूर्व प्रस्तुत किए गए अंश को प्रस्तावना/ उद्देशिका कहा जाता है। ऑस्ट्रेलियाई संविधान से प्रभावित मानी जाने वाली उद्देशिका संविधान का सार है। उद्देशिका द्वारा संविधान के जिन विषयों को जाना जा सकता है वे हैं - संविधान के आदर्श, आकांक्षाएं, उद्देश्य, इसका शक्ति स्रोत (जो कि भारत के लोग हैं) उद्देशिका की प्रकृति के अनुसार यह संविधान का महत्वपूर्ण अंग नही है क्योंकि यह राज्य के तीनों अंगों में से किसी को भी संवैधानिक शक्ति प्रदान नही करती।
यदि किसी विषय पर अनुच्छेद व उद्देशिका के बीच संघर्ष की स्थिति उतपन्न होती है तो ऐसे में अनुच्छेद को वरीयता दी जाती है। उद्देशिका के आधार पर न्यायालय में कोई वाद नही लाया जा सकता। उद्देशिका को एक शोभात्मक आभूषण की तरह माना जाता है जिसका प्रयोग संविधान में विद्यमान अस्पष्टता को दूर करने हेतु किया जाता है। उद्देशिका में जिन शब्दों का प्रयोग किया गया है वे संविधान की स्पष्ट छवि प्रस्तुत करते हैं।
अंतिम सार के रूप में हम कह सकते हैं कि उद्देशिका मुख्य रूप से यह बताती है कि संविधान जनता के लिए है और जनता ही अंतिम संप्रभु है तथा वह गणराज्य के अंतर्गत रहते हुए खुद को पंथ निरपेक्ष, समाजवादी, लोकतांत्रिक, न्याय संगत, स्वतंत्र, समता पूर्ण व बंधुता पूर्ण घोषित करती है।