हिन्दू धर्म के 16 संस्कारों में से 10 वां संस्कार उपनयन संस्कार कहलाता है, इसे यज्ञओपवित या जनेऊ संस्कार भी कहा जाता है
उपनयन का अर्थ होता है (गुरु) के पास ले जाना, आसान भाषा में कहा जाए तो हिन्दू धर्म की रीति के अनुसार जब बच्चे को शिक्षा के उद्देश्य से गुरु के पास भेजा जाता है तो इस क्रिया को उपनयन संस्कार कहा जाता है
मान्यता है कि इस संस्कार से द्विजत्व यानी दूसरे जन्म की प्राप्ति होती है, इस संस्कार से वेद अध्ययन करने का अधिकार प्राप्त होता है
यह संस्कार कर्णभेदन (यानी कान को भेदने) की प्रक्रिया के बाद किया जाता है
उपनयन का अर्थ होता है (गुरु) के पास ले जाना, आसान भाषा में कहा जाए तो हिन्दू धर्म की रीति के अनुसार जब बच्चे को शिक्षा के उद्देश्य से गुरु के पास भेजा जाता है तो इस क्रिया को उपनयन संस्कार कहा जाता है
मान्यता है कि इस संस्कार से द्विजत्व यानी दूसरे जन्म की प्राप्ति होती है, इस संस्कार से वेद अध्ययन करने का अधिकार प्राप्त होता है
यह संस्कार कर्णभेदन (यानी कान को भेदने) की प्रक्रिया के बाद किया जाता है