अनुच्छेद 17 संविधान के भाग तीन के अंतर्गत मौलिक अधिकारों से जुड़ा हुआ एक अनुच्छेद है। इसे संविधान में प्रकार लिखा गया है:
"अस्पृश्यता का अंत किया जाता है और किसी भी रूप में इसका अभ्यास वर्जित है। अस्पृश्यता से उत्पन्न होने वाली किसी भी अक्षमता को लागू करना कानून के अनुसार दंडनीय अपराध होगा।"
अब यदि हम अनुच्छेद 17 की व्याख्या करें तो इसमें स्पष्ट लिखा गया है कि अस्पृश्यता यानी कि छुआछूत एक दंडनीय अपराध है। यानी संवैधानिक रूप से छुआछूत को दंडनीय अपराध बनाया गया है। छुआछूत को व्यवहार में लाने पर कौन सा दंड दिया जाएगा यह निश्चित करने की शक्ति संसद के पास है। संसद अलग-अलग कानूनों के जरिए दंड की प्रक्रिया का प्रावधान करती है ताकि छुआछूत को समाज से समाप्त किया जा सके। अब यहां पर प्रश्न यह आता है कि अस्पृश्यता यानी कि छुआछूत आखिर है क्या।